Bihar Board 12th Physics VVI Subjective Question 2023 Exam Inter Exam Importent Subjective
Q 1. विघुत चुंबकीय तरंग क्या है?
उतर- विद्युत चुंबकीय तरंगों वे तरंग होती है, जो एक दूसरे के लंबवत तापो में विद्युत क्षेत्र एवं चुंबकीय क्षेत्र के जयाअक्रिय दोलनों से मिलकर बनी होती है, तथा ये दोलन तरंग संरक्षण की दिशा के लंबित होते हैं। विद्युत चुंबकीय तरंग के विशेषताएं हैं।
(¡) अनुप्रस्थ रंग है।
(¡¡) एक तत्व अब मंदिर एवं दोलन एवं आवेश के कारण उत्सर्जित होता है।
Q 2. प्रकाश के विवर्तन से आप क्या समझते हैं?
उतर- प्रकाश के पथ में यदि आपार दर्शी अवरोधक को रखा दिया जाए तो इसके पीछे एक छाया बनती है जिसकी आकृति अवरोधक के अनुरूप होती है। प्रकाश के ऋजुरेखिये हरा चना के सिद्धांत के अनुसार स्रोतों के बिंदु वत रहने पर छाया की सीमा रेखा को तीक्ष्ण होना चाहिए परंतु विशिष्ट अवस्थाओं में ऐसा नहीं होता है। वास्तव में ज्यामितीय छाया की सीमा के भीतरी भाग में प्रदीप्त एकाएक समाप्त नहीं हो जाती है बल्कि कुछ प्रदीप्त रहती है जो भीतर की ओर धीरे-धीरे घटती हुई समाप्त होती है और अथ्थाया पूर्णता अंधकार में हो जाती है जेमिति है छाया के क्षेत्र में प्रकाश का प्रवेश तभी संभव है जब अवरोध के किनारे से होकर जाने वाली प्रकाश की किरणें मुरझाए अवरोधक के किनारे से प्रकाशित रंगो के मरने की घटना को प्रकाश का वितरण कहा जाता है।
Q 3. पृथ्वी के चुंबकीय तत्वों से आप क्या समझते हैं?
उत्तर किसी स्थान पर पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के परिणाम और दिशा का पूर्ण ज्ञान जिन राज्यों से प्राप्त होता है उन्हें उस स्थान पर पृथ्वी के चुंबकीय तत्व कहते हैं। ए तत्व निम्नलिखित है।
(¡) दिकपात
(¡¡) नति या नमन तथा
(¡¡¡) पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र का क्षैतिक घटक।
Q 4 . बोर के अस्थाई कथा से आप क्या समझते हैं?
उत्तर 1913 में नील्स बोर ने रदरफोर्ड के परमाणु मॉडल में प्लांक के क्वांटम सिद्धांत को लगातार हाइड्रोजन परमाणु के स्पेक्ट्रम की सफल व्याख्या की तथा परमाणु का एक नया मॉडल दिया। इस मॉडल को बोर का परमाणु मॉडल कहा जाता। इलेक्ट्रॉन नाभिक चारो और वृतीय कक्षाओं में घूमता रहता है। इन कक्षाओं में घूमने वाली इलेक्ट्रॉन विकिरण नहीं उत्पन्न करते हैं। इन कथाओं को अस्थाई कथाएं कहा जाता है।
Q 5. एक छड़ चुंबक की अक्षीय स्थिति और निरक्षीय स्थिति को समझाएं।
उत्तर- किसी चुंबक के चारों और उनका अपना चुंबकीय क्षेत्र होता है। इस क्षेत्र में चुंबक के सफेद दो विशिष्ट बिंदुओं की स्थितियों के मानक स्थितियों कहा जाता है। इसमें एक की स्थिति चुंबक के अक्षर होती है जिसे आज की स्थिति कहा जाता है। दूसरी मानक बिन स्थिति चुंबक की लंबाई के लंबवत समद्विभाजक पर होती है जिसे निरक्षीय स्थिति कहा जाता है।
Q 6. आवेश संरक्षण का सिद्धांत क्या है?
उत्तर- किसी बिलगीत निकाय के भीतर का कुल आवेश स्थिर रहता है। इसे आवेश का संरक्षण सिद्धांत कहा जाता है। आता साधारणतय ना तो आवेश की सृष्टि की जा सकती है और नहीं इसे नष्ट किया जाता। उदाहरण के लिए जब कांच की छड़ को रेशम से रगड़ा जाता है तो जितना धन आवेश कांच की छड़ पर उत्पन्न होता है उतना ही रिनोवेशन पर उत्पन्न होता है। वास्तव में कांच कीचड़ कोरेशन से रगड़ने पर कांच की छड़ से कुल एक्ट्रान निकालकर रेशम पर अधिकता के कारण ग्रीन आवेशित हो जाता है। इस प्रकार की प्रक्रिया में इलेक्ट्रॉनों के पुणे वितरण के कारण कांच की छाल और रेशम सम्मान करें मान में परंतु विपरीत प्रकृति के अवश्य आवेशित हो जाता है। यहां आवेश का मात्रक पुणे वितरण होता है उनका निर्माण नहीं किया जा सकता है। इसे एक अवस्था से दूसरे अवस्था में बदला जा सकता है।
Q 7. अर्धचालक क्या है?
उत्तर – चालक और आज चालक पदार्थों के अतिरिक्त कुछ पदार्थ ऐसे भी होते हैं जिनकी प्रतिरोधकता चालक और आज चालक पदार्थों की प्रतिरोधकता के बीच के क्राइम की जाती है। इस प्रकार के पदार्थ को अर्धचालक कहा जाता है। सिलिकॉन जर्मी नियम तथा सेलीनियम महत्वपूर्ण अर्धचालक है। इन पदार्थों के प्रति घन सेंटीमीटर आयत में मुफ्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या लगभग 10 के पावर 13 होती है जबकि तांबे की एक घन सेंटीमीटर में इनकी संख्या 8.4 गुने 10 के पावर 22 होती है।
Q 8. ऊंचाई ट्रांसफार्मर का उपयोग बताइए।
उत्तर- ट्रांसफार्मर व उपकरण है जिसकी सहायता से प्रत्यावर्ती विद्युत वाहक बल विद्युत शक्ति को बिना नष्ट किए ही बढ़ाया घटाया जा सकता है। यह अद्भुत चुंबकीय प्रेरण के सिद्धांत पर काम करता है। ऊंचाई ट्रांसफर वन के द्वारा निम्न वोल्टेज वाली प्रबल प्रत्यावर्ती धारा को उच्च वोल्टेज वाली निम्न धारा में बदला जाता है।
Q 9. विद्युत चुंबकीय प्रेरण का लेंज का नियम ऊर्जा के संरक्षण के सिद्धांत का पालन करता है। इसकी विवेचना करें ।
उत्तर- विद्युत चुंबकीय प्रेरण की घटना में लेंज के नियम से प्रेरित धारा की दिशा का ज्ञान होता है तथा यह पता चलता है कि प्रेरित विद्युत ऊर्जा का स्रोत है।
किसी बंद विद्युत परिपथ में विद्युत वाहक बल का स्रोत अर्थ और तेल नहीं रहने पर भी उसमें धारा प्रेरित की जा सकती है। इसका यह अर्थ नहीं है की ऊर्जा की उत्पत्ति अपने आप हो रही है जो वास्तव में ऊर्जा के संरक्षण के सिद्धांत के विरुद्ध है। विभूति उर्जा की उत्पत्ति किसी अन्य प्रकार की ऊर्जा खर्च होने पर ही होनी चाहिए । प्रयोगों से या देखा जाता है की प्रेरित धारा की दिशा हमेशा प्रेरक अर्थात गतिशील चुंबक अथवा प्राथमिक कुंडली का विरोध करते हैं। चुंबक या प्राथमिक कुंडली को निकट लाते समय प्रेरित धारा इस प्रेरक को प्रति आकर्षित करती है और इस प्रतिकर्षण बल के विरुद्ध प्राथमिक कुंडली या चुंबक को निकट लाने के क्रम में यांत्रिक कार्य करना पड़ता है। यही संपादित कार्ड्स विद्युत ऊर्जा में रूपांतरित हो जाता है। इसी प्रकार प्राथमिक कुंडली याद चुंबक को द्वितीय कुंडली से दूर ले जाना के क्रम में आकर्षण बल के विरुद्ध कार्य करना पड़ता है। इस प्रकार लेंज का नियम ऊर्जा के संरक्षण के सिद्धांत कब पोषक है।
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